हिन्दी दिवस व चन्द्र कुवंर बर्त्वाल की पुण्य तिथि के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित

हिन्दी दिवस पर हिमवंत कवि चन्द्रकुवॅंर बर्त्वाल व साहित्यकार डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल को किया याद

हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान देहरादून द्वारा हिन्दी दिवस व चन्द्र कुवंर बर्त्वाल की पुण्य तिथि के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल के कालजयी साहित्य को आम जनमानस तक पंहुचने वाले दिवंगत साहित्यकार,लेखक व पत्रकार स्वगीय डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल को विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके अमूल्य योगदान को याद किया गया।
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि डॉ. गिरिधर पण्डित पूर्व प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवप्रयाग ने कवि के गीतों का काव्य पाठ कर उनके साहित्य के विभिन्न आयामों को याद किया। उन्होंने कहा कि वे विविध विधाओं के धनी तो थे ही साथ ही कवि चंद्रकुंवर एक ओर प्रकृतिवादी, छायावादी, साम्यवादी, एक मनोवैज्ञानी ,रहस्यवादी तो कहीं अत्यंत आशावान तो कहीं घोर निराशा भी कवि की कविताओं में दिखाती है। उन्होने इस बात पर जोर दिया कि अगर लोगों, गाँव-गाँव तक चंद्रकुंवर बर्त्वाल को आज लोग जानने लगे तो इसमें डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल का अतुलनीय योगदान है। कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा हिमवंत कवि चंद्र कुँवर बर्त्वाल के जीवन व्यक्तित्व और उनकी साहित्यिक कृतियों पर व्यापकता के साथ प्रकाश डाला गया ।

इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार कुसुम रावत ने कहा कि अपने जीवन में मात्र 28 सालों का बसंत देखने वाले और अनेक विषम परिस्थितियों से गुजरते हुए इस हिमवत कवि ने हिंदी साहित्य जगत को अपनी रचनाओं से समृद्ध कर हिन्दी की सेवा की वे किसी वाद नही बल्कि एक विलक्षण प्रतिभा थे। जिनको समग्रता में जानने समझने की आवश्यक है । उन्होंने कहा कि वे एक जन्म-जन्मांतर के योगी थे जो किसी काल खंड में किसी निश्चित समय के लिए आते है और अपना कार्य करके समाज को नया रास्ता दिखाकर चले जाते हैं। वही संस्था के अध्यक्ष मनोहर सिंह रावत ने चंद्रकुँवर बर्त्वाल की रचनाओं को समाज के सामने लाने के लिए शम्भू प्रसाद बहुगुणा, उमाशंकर सतीश द्वारा दिये गये अथक योगदान के साथ साथ डॉ.योगम्बर सिंह बर्त्वाल के कार्याे को आगे बढ़ाने का आवाह्न किया।
वहीं ईजीनियर पदमेन्द्र सिंह बर्त्वाल कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। डॉ.मानवेंन्द्र बर्त्वाल ने भी श्रद्धांजलि देकर अपने विचार व्यक्त किए।
कवि की प्रमुख प्रसिद्ध कृतियों विराट ज्योति, नंदिनी, काफल पाक्कू, पयस्विनी, हिम ज्योत्सना, हिमवंत का एक कवि, हिरण्यगर्भ, साकेत, उदय के द्वारों पर प्रणयनी, गीत माधवी का इस अवसर पर पाठ किया गया।
कार्यक्रम में डॉ मीनाक्षी रावत, प्रभा सजवाण ने डॉ. योगंबर सिंह बर्त्वाल के कार्याे को याद करते हुए कविवर को अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर गुणानंद बडोला, रानू बिष्ट, शंकरचंद्र रमोला , सुरेंद्र कुमार,डॉ. गोगिल, प्रकाश थपलियाल, सत्येंद्र सिंह बर्त्वाल, ललित मोहन लखेडा, सत्यप्रकाश चौहान, यशबीर चौहान,शिवानी,समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।