जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक के स्थाई सामधान पर एचएनबीजीयू में गहन मंथन

कृषि क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों पर विशेषज्ञों ने जताई चिन्ता

 

जापान की तर्ज पर कृषकों को मिले हर माह सरकारी आर्थिक सहायता

 

श्रीनगर गढ़वालःहेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा पर्वतीय किसानों की बड़ती चुनौतियों व कृषि क्षेत्र में संभावनाये विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन भी पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों को पंहुचाये जा रहे नुकसान पर चर्चा जारी रही,वहीं इस विषय पर पूर्व उद्यान निदेशक डॉ बीर सिंह नेगी ने हिमाचल की तर्ज पर जंगली जानवरों के प्रबंधन व पूर्व के दसकों की तरह जंगली जानवरों की पहरेदारी को अपनाने की बात कही।

वहीं प्रोफेसर डीके सिंह, पंतनगर ने अपने व्याख्यान में सब्जियों की नई किस्म पर प्रकाश डालते हुए खीरा, टमाटर व शिमला मिर्च की संरक्षित खेती के विषय पर संक्षिप्त जानकारी दी।

प्रोफेसर एचसी नैनवाल ने अपने व्याख्यान के दौरान जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव की चर्चा की उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण घटते हिमनद चिंता का विषय है। हिमालय से निकलने वाली सदाबहार नदियों का स्रोत होने के कारण इन हिमनदो को बचाना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। उनके द्वारा भू-गर्भ विभाग के छात्रों के द्वारा सतोपंथ हिमनद और अलकनंदा घाटी पर किए गए शोध कार्यों की जानकारी दी गई।

प्रथम दिवस के अंतिम सत्र में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई ।संगोष्ठी के दूसरे दिन की शुरुआत डॉक्टर जी सी एस नेगी के व्याख्यान से हुई। अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हमेशा से कृषि सिल्वी पोस्टोरल प्रणाली अपनाई जा रही है। उत्तराखंड में कुल भूमि का केवल 14 प्रतिशत ही खेती के योग्य है जिसमें से 90 प्रतिशत आज भी केवल वर्षा सिंचित है।

पारंपरिक फसलों के स्थान पर नगदी फसलों के बढ़ते प्रचलन का पारिस्थितिकी तंत्र पर नाकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा हैं।पहले सत्र के दूसरे व्याख्याता डॉक्टर हेनरी प्रधान, संपादक वेदर क्लाइमेट समिति, अमेरिका ने आनलाइन माध्यम से अपना व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने शोधार्थियों को शोध प्रकाशन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी ।

पहले दिन का अंतिम व्याख्यान डॉक्टर बीर सिंह नेगी द्वारा प्रस्तुत किया गया। उनके द्वारा उतराखंड में चल रही खेती के उपयोग की प्रणाली और बदलते मौसम के कारण उसमें आ रहे बदलाव के बारे में बात की गई। उनके द्वारा बताया गया कि किस प्रकार बागवानी फसलों जैसे फल, सब्जियां, मसाले और औषधीय पौधों का उत्पादन क्षेत्र बढ़ा के किसान की आय को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए स्थानीय मंडियां विकसित की जानी चाहिएं और साथ ही उत्पादों को सुचारू रूप से बाजार तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत हैं।

संगोष्ठी के दूसरे दिन 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें उन्होंने मौखिक प्रस्तुति एवं पोस्टर प्रस्तुति द्वारा विभिन्न कृषि संबंधित विषयों पर चर्चा की। संगोष्ठी में प्रदेशभर से आये विभिन्न किसानों के द्वारा जैविक उत्पाद व मसरूम आदि के स्टॉल भी लगाये गये।

भानु प्रकाश नेगी हिमवंत प्रदेश न्यूज श्रीनगर गढवाल