बीआरओ व कार्यदायी संस्था ओसिस कंपनी की लापरवाही से सीमांत गांव कैलाशपुर के ग्रामीणों का भारी नुकसान
जोशीमठ:चीन बॉर्डर से सटा गांव कैलाशपुर जोशीमठ विकास खंड का एक छोटा सा गांव है। जहां पर लगभग 70-80 परिवार निवास करते है और यहां के ग्रामीणों की आजीविका अधिकांश खेती पर निर्भर हैं,खेती भी सिर्फ ग्रीष्मकाल प्रवास के दौरान अर्थात जून से अक्तूबर माह के बीच में की जाती है।
उसके बाद शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण जनपद चमोली के निचले क्षेत्रों में आ जाते है।कैलाशपुर के ग्रामीण नगदी फसल राजमा की खेती करके अपना रोजी रोटी चलाते हैं।लेकिन इस वर्ष गांव के ग्रामीणों को अपनी तीन सौ नाली अर्थात 6 हेक्टियर नाप भूमि जो कि उपजाऊ भूमि है,को बीआरओ व
उसके कार्यदायी संस्था ओसिस कंपनी की लापरवाही के कारण बंजर ही रखना पड़ा ।
क्योंकि यहां पर पिछले दो तीन वर्ष से बीआरओ व कार्यदायी संस्था ओसिस कंपनी द्वारा मलारी से नीती गांव तक बॉर्डर रोड चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा हैं। जिस कारण यहां के ग्रामीणों की तीन सौ नाली उपजाऊ भूमि जिसमे कि ग्रामीण राजमा की खेती करते थे उसका सिंचाई नहर/गुल बॉर्डर रोड चौड़ीकरण कार्य करते समय पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया।
जिस कारण सिंचाई का पानी खेतो तक नही पहुंच पाया और ग्रामीण खेती नही कर पाए। मई माह में जब ग्रामीण अपने मूल गांव कैलाशपुर पहुंचे तो उस समय ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार उप-जिलाधिकारी जोशीमठ व बीआरओ के उच्चाधिकारियों व ओसिस कम्पनी के अधिकारियों को भी इस समस्या के सम्बंध मे अवगत करवाया गया और जल्दी सिंचाई नहर/गुल बनवाने की गुहार लगाई गई लेकिन सभी अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को झूठा आश्वासन दिया गया कि समय पर नहर/गुल तैयार कर दिया जायेगा। फसल का सीजन खत्म हो गया अभी तक बीआरओ व ओसिस कम्पनी द्वारा नहर/गुल नही बनाया गया।जिससे ग्रामीणों में खाशा रोष दिखाई दे रहा है।
अब ग्रामीणों का कहना है कि एक फसलीय सीजन समाप्त हो गया है और हमारे छः हेक्टियर उपजाऊ भूमि बंजर पड़ा रहा। इसलिए हमें इस एक सीजन का बीआरओ या कम्पनी जो भी इसका उत्तरदायी है उनके द्वारा फसलीय मुवावजा दिया जाय,यदि ग्रामीणों को इसका मुवावजा नही दिया जाता तो ग्रामीण काम रोकने के लिए मजबूर हो जायेगे।जिसकी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी बीआरओ या कम्पनी की होगी।
दूसरी ओर ग्रामीणों का ये भी कहना है कि वैसे तो हमे दूसरी पंक्ति के रक्षक कहा जाता हैं और सरकार द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र के दूसरी पंक्ति के रक्षकों को अनेक सुविधाएं दी जानी चाहिए लेकिन यहां तो सुविधाओ के नाम पर उल्टा ग्रामीणों का शोषण जरूर किया जा रहा हैं जिस वजह से आज ग्रामीणों को अपने ही उपजाऊ भूमि की मुवावजा के लिए सरकार से लड़ना पड़ रहा है। जहां सरकार एक ओर नई नई योजनाएं ले के सीमावर्ती गांवों को वाइब्रेंट विलेज/जीवंत ग्राम बनाने की बात कर रही है वही दूसरी ओर ग्रामीणों का शोषण कर लोगो को पलायन करने के लिए मजबूर कर रही है।
ग्राम प्रधान कैलाशपुर सरिता देवी का कहना हैं कि हम लोगो ने कई बार उप-जिलाधिकारी जोशीमठ से भेंट वार्ता कर और ज्ञापन दे कर इस समस्या से अवगत करवाया लेकिन उनके द्वारा भी कोई ठोस कार्यवाही कम्पनी के विरुद्ध नही की गई जो कि प्रशासन की शिथिलता को दर्शाता है।इसके अलावा बीआरओ व कम्पनी के अधिकारियों से भी वार्ता की लेकिन बीआरओ की तरफ से कहा गया कि कार्यदायी संस्था ओसिस कम्पनी है इसलिए मुवावजा भी कम्पनी देगी लेकिन जब कम्पनी के अधिकारियों से वार्ता की गई तो उनका कहना हैं कि रोड चौड़ीकरण बीआरओ द्वारा करवाया जा रहा है इसलिए मुवावजा भी बीआरओ की ओर से दिया जाना चाहिए इसमें हमारा कोई लेना देना नही है।लेकिन ग्रामीणों का कहना हैं कि कार्य चाहे किसी का भी हो लेकिन हमे हमारे नुकसान का मुवावजा मिलना चाहिए चाहे कार्य किसी का भी हो नही तो उग्र आंदोलन के लिए ग्रामीण तैयार हैं।
-पुष्कर सिंह राणा
हिमवंत प्रदेश न्यूज
नीती माणा घाटी जोशीमठ