पर्वतीय किसानों को परम्परागत खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पत्रकार भानु प्रकाश नेगी को मिला प्रगतिशील किसान पुरस्कार

पर्वतीय किसानों को परम्परागत खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पत्रकार भानु प्रकाश नेगी को मिला प्रगतिशील किसान पुरस्कार

-एचएनबीजीयू में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन्न,

-खेती में विविधता अति आवश्यकः विजय जड़धारी

 

श्रीनगर गढवालःहेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के ग्रामीणी प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय संगोष्ठी का समापन्न हो गया । अन्तिम दिन के द्वितीय सत्र की शुरुआत माउंट वैली के सचिव विनोद कुमार भट्ट ने अपने संबोधन से की। अपने सम्बोधन में उन्होंने जैविक खेती एवं पारंपरिक बीजों के संरक्षण की महत्वता पर जानकारी साझा की। सत्र के अंतिम व्याख्यान के दौरान वरिष्ठ प्रोफेसर संजय कुमार ने अपने संबोधन में आधुनिक कृषि पर जोर देते हुए संरक्षित खेती, फर्टिगेशन एवं आधुनिक प्रवर्धन जैसी तकनीको पर चर्चा की ।इस दौरान डॉ डी के सिंह, पंतनगर को प्रख्यात वैज्ञानिक अवार्ड से नवाजा गया।

संगोष्ठी के तीसरे दिन की शुरुआत डॉक्टर बीएस नेगी पूर्व सलाहकार, नवीन और नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सतत कृषि विकास के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु एकीकृत दृष्टिकोण पर संक्षिप्त जानकारी साझा की ।

सत्र का दूसरा व्याख्यान डॉक्टर जी एस बुटोला द्वारा दिया गया। उन्होंने औषधीय पौधों की गुणवत्ता पर बात करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में उनकी खेती पर जोर दिया। सत्र के तीसरे व्याख्यान में डॉक्टर हिमशिखा गुसाईं द्वारा उत्तराखंड में पारंपरिक कृषि एवं कृषि उत्पादों के भंडारण के विषय में विस्तृत जानकारी साझा की गईं। डॉ विजय प्रसाद भट्ट द्वारा उत्तराखंड के भोटिया समुदाय की संस्कृति एवम पारंपरिक खेती के विषय मे जानकारी दी गई।

डॉ विजयलक्ष्मी त्रिवेदी ने औषधीय पौधों की विशेषता एवम इनकी खेती को बढ़ावा देने पर बात की।

डॉ विजय देवराड़ी ने जड़ी बूटियों के दूरगामी परिणामों पर बात की और इनके स्वास्थ्यवर्धक गुणों पर चर्चा की।

कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में विशिष्ठ अतिथि बीज बचाओं आन्दोलन के प्रणेता प्रगतिशील किसान विजय जड़धारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में विविधता अति आवश्यक है। खेती हमारी जीवन पद्धति है। खेती व पशुपालन ही ग्रामीण आर्थिकी का आधार है। पर्वतीय क्षेत्रों से मिट्टी का छरण लगातार चिन्ता का विषय है। एक समय ऐसा आयेगा कि इन्सान के पास पैसा होगा लेकिन अनाज नहीं मिलेगा इस लिए कीचन गार्डन ही सही हमें कुछ न कुछ अवश्य उगाना चाहिए।

संगोष्ठी के अंतिम चरण में सभी मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुति विजेताओं को प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार से नवाजा गया साथ ही प्रदेश की विभिन्न क्षेत्रों के प्रगतिशील किसानों को पुरस्कार दिया गया। जिसमें पत्रकार भानु प्रकाश नेगी को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि व उद्यानगी को प्रोत्साहन देने के उत्कृठ कार्य के लिए विभागाध्यक्ष ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग प्रो आर एस नेगी व स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के डीन ए एस नेगी ने प्रगतिशील किसान पुरस्कार सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया।

संगोष्ठी के संयोजक प्रो० राजेंद्र सिंह ने संगोष्ठी में की गई समस्त गतिविधियों का संक्षिप्त वर्णन किया। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रो आर एस नेगी द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों व सहयोगियों का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। अंत में समारोह समाप्ति की घोषणा संगोष्ठी के सहसंयोजक डॉक्टर संतोष सिंह द्वारा की गई ।

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