■ *धाद का हरेला अभियान 14 जुलाई को नागरिकों के हरेला मार्च के साथ प्रारम्भ होगा* 

■ *मार्च उत्तराखंड हिमालय के गांव उसके उत्पादन और शहरों में हरियाली पेड़ों के सवालों के साथ होगा*  ■ *वृक्ष लगाए वृक्ष बचाएं उपज हिमालय की अपनाएँ के सूत्र के साथ उत्तराखंड के शहरों में हरेला वन के साथ सामुदायिक वन के पक्ष में और हरेला गाँव के साथ गाँव के उत्पादन और उसके सवालों पर गतिविधियां की जाएंगी*

सामाजिक संस्था धाद ने अपने एक माह तक चलने वाले हरेला अभियान का शुभारम्भ देहरादून में उत्तराखंड हिमालय के गांव उसकी खेती और शहरों की हरियाली पेड़ों के सवाल पर नागरिक मार्च के साथ करने का तय किया है धाद ने आम समाज से हरेला के माह एक पौधा लगाने और उसके वृक्ष बनने की जिम्मेदारी लेने  के साथ अपने आस पास के पेड़ो का ध्यान रखने उनकी रक्षा करने  और हिमालय उपज को आपने जीवन में शामिल करने की अपील की है संस्था द्वारा हरेला अभियान की जानकारी तन्मय, सुशील और आशा डोभाल द्वारा दी गयी

*धाद के हरेला अभियान की जानकारी देते हुए धाद के सचिव तन्मय ने कहा पिछले चौदह वर्षों से धाद ने उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को व्यापक सामाजिक सन्दर्भ के साथ समाज और शासन में स्थापित करने की पहल की है. इस वर्ष इस परंपरा को जारी रखते हुए 14 जुलाई को हरेला मार्च के साथ हरेला अभियान शुरू होगा जिसका समापन घी संग्रांद पर पहाड़ के अन्न और भोजन के साथ होगा।* धाद के साथी आम समाज के साथ वृक्षारोपण करते हुए पर्यावरण और पारिस्थितिकी के सवालों और उत्तराखंड हिमालय के उत्पादन के पक्ष में वातावरण बनाने के लिए गतिविधि करेंगे। पेड़ सभा, गीत संध्या के साथ उत्तराखण्ड  के गाँव के उत्पादन और उसके सवालों  के साथ शहरी क्षेत्रीं में  घट रहे पेड़ों और हरियाली के पक्ष में सेमिनार आयोजित किये जाएंगे अभियान स्कूल, संस्थान मोहल्ले में धाद के साथी सभाएं करेंगे।

● *अभियान के सामुदायिक वन के बाबत पहल की जानकारी देते हुए  हरेलावन के संयोजक सुशील पुरोहित ने बताया कि  हर वर्ष की तरह हरेला के महीने देहरादून में हर रविवार सामाजिक भागीदारी के साथ सघन वृक्षारोपण किया जाएगा। और देहरादून में 500 पौधों को वृक्ष बनाने की जिम्मेदारी आम नागरिकों को दी जाएगी.* उन्होंने बताया कि हरेलावन कार्यक्रम  में लोग पौधे को लगाने और उसका वर्ष भर ध्यान रखते हुए वृक्ष बनाने का संकल्प लिया जाता है। हरेलावन के अंतर्गत समाज के सहयोग से शहरी वनों का प्रारम्भ स्मृतिवन के साथ हुआ था जिसमे मालदेवता,देहरादून में उत्तराखंड की श्रेष्ठ विभूतियों के निमित्त पौधरोपण के साथ हमने जन भागीदारी के साथ 2020 में अपील की थी जिसके आधार पर उस वृक्ष की देखभाल सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी लोग ग्रहण करते हैं आम समाज के सहयोग से यह प्रयास सफल रहा अब यह प्रयोग हरेलवान के अंतर्गत विभिन्न वनों का आधार बना है गत वर्षों में अब तक स्मृतिवन,मित्रवन,पुष्पवन,बाल वन और बाल वाटिकाओं की पहल की गयी है।

●  *हरेला गाँव के संयोजक हरीश डोबरियाल की तरफ से कहा गया कि हरेला जो मूलतः खेती और उसके उत्पादन का पर्व है अब जबकि इसने व्यापक रूप ले लिए है तब जरुरी है कि उत्तराखण्ड हिमालय की खेती उसके उत्पादन के सवाल सामाजिक विमर्श के केंद्र में आये।* लगातार घटते हुए कृषि क्षेत्र और बंजर होती जमीने आज एक बड़ा सवाल है इसलिए हरेला गाँव के अध्याय के अंतर्गत हमने कुछ गाँव के साथ सामजिक प्रयोग करते हुए उनके उत्पादन को मजबूत करने और उसे सही बाजार दिलवाने के लिए काम करना प्रारम्भ किया है। इसके पक्ष में  हरेला के माह एक बड़ा सम्मलेन हरेला गाँव सतपुली पौड़ी में प्रगतिशील किसानों के साथ किया जाना है

● *ट्रीज ऑफ़ दून के संयोजक हिमांशु आहूजा ने कहा शहरों के विकास और लगतार बढ़ते हुए जनसंख्या के दबाव ने शहर और उसके आस पास मौजूद पेड़ों पर सीधा असर किया है और उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी है* अब समय है जब शहर और पेड़ों के सहअस्तित्व के लिए पहल की जाय जो सार्वजनिक स्थानों में पेड़ हैं उनकी देखरेख और रक्षा के लिए शासन के साथ समाज भी आगे आये. हम हरेला में पेड़ देहरदून के अध्याय के अंतर्गत पेड़ सभाये करेंगे और उनकी इस शहर को बनाने और उसकी आबो हवा के लिए की गयी भूमिका को  सबस साझा करेंगे साथ ही शहर के पुराने वृक्षों को हेरिटेज ट्री घोषित करने का प्रस्ताव शासन को दिया जाएगा।

● *हरेला स्कूल की संयोजक आशा डोभाल ने बताया* सार्वजनिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों के साथ हम  एक कोना कक्षा का कार्यक्रम के तहत हरेला मनाते आये हैं। जिसमे प्रदेश के 700 से अधिक स्कूल शामिल है . *इस वर्ष से आम समाज के सहयोग को स्कूलों में बाल वन बाल वाटिका विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिसमे स्कूल और उसके छात्रों को उनके प्रांगण में पौधों से पेड़ों के विकास के लिए सार्वजनिक रूप से पुरुस्कृत किया जाएगा।* साथ ही हमने सभी स्कूलो से इस महीने हिमालयी उपज को भोजन में शामिल करने के लिए भी अपील की है।

● *हरेला देश दुनिया के संयोजक दयासागर धस्माना ने कहा कि हरेला का विचार उत्तराखंड के समाज को एक वैश्विक पहचान दिलाने की समर्थ्य रखता है उत्तराखडं की एक बड़ी आबादी हरेला जो देश विदेश में रह रही है वह हरेला के साथ जुड़कर देश दुनिया को एक हरी  भरी दुनिया का सन्देश दे सकता है* इसलिए गत वर्षों में धाद द्वारा देश और विदेश में हरेला आयोजन की पहल की गयी है जिसमे उसे अपनी धरती जहाँ वह रह रहा हैं वहां पौधा लगाने और पहाड़ की उपज को अपने जीवन व्यवहार में शामिल करने की गतिविधि करनी है.